Wednesday, July 23, 2008
ओलंपिक में ड्रग टेस्ट पर चीनता
की एक जाँच में पता लगा है कि बीजिंग ओलंपिक से मात्र दो सप्ताह पहले होने वाले एक प्रमुख ड्रग टेस्ट पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.
बीबीसी को संकेत मिले हैं कि प्रयोगशालाएँ खिलाड़ियों के ख़ून में शक्तिवर्धक दवा ईपीओ के पाए जाने पर भी नकारात्मक नतीजे दे रही हैं.
कुछ नमूनों को संदेहास्पद बताया गया. इससे यह आशंका बढ़ती है कि धोखाधड़ी करने वालों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
स्पोर्ट्स ड्रग के एक विशेषज्ञ ने बीबीसी को बताया कि ओलंपिक खेलों के अंतिम दौर में पहुँचने वाले अनेक खिलाड़ी ईपीओ का इस्तेमाल करेंगे.
इस दवा का नकली संस्करण इंटरनेट पर मात्र 50 डॉलर में उपलब्ध है और विशेषज्ञों का कहना है कि इन दवाओं का पता आसानी से नहीं लगाया जा सकता.
अदालतों में चुनौती
हालांकि ईपीओ का पता लगाने के लिए वर्ष 2000 में हुए सिडनी ओलंपिक खेलों में एक नया टेस्ट शुरू किया गया था लेकिन खिलाड़ियों ने बड़ी संख्या में इन परिणामों को अदालतों में चुनौती दी थी.
अमरीका की मेरियन जोंस के पहले नमूने का परिणाम पॉज़िटिव आया जबकि दूसरे या ‘बी’ टेस्ट में उन्हें बरी कर दिया गया.
मेरियन जोंस
मेरियन जोंस को प्रतिबंधित दवाएं लेने के लिए बाद में सज़ा दी गई
इसकी प्रतिक्रिया में 2004 में वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी यानी वाडा (डब्ल्यूएडीए) ने ईपीओ पॉज़िटिव घोषित किये जाने के मानदंड और कड़े कर दिए.
अंतरराष्ट्रीय स्की फ़ेडरेशन और एस्टाना साइक्लिंग टीम के लिए एंटी डोपिंग कार्यक्रम चलाने वाले डॉ रेस्मस डेम्सगार्ड कहते हैं कि उनके पास इस बात के ठोस सबूत हैं कि ईपीओ के पॉज़िटिव टेस्ट को निगेटिव या संदेहास्पद घोषित कर दिया गया.
धोखाधड़ी
इस साल में पहले उन्होंने वाडा प्रयोगशाला को जाँच के लिए पाँच स्की खिलाड़ियों के नमूने भेजे थे.
उन सभी के परिणाम निगेटिव पाए गए लेकिन जब डॉ रेस्मस डेम्सगार्ड ने उनसे वह जैल या इलैक्ट्रॉनिक प्रिंट माँगे जिनके आधार पर परिणाम घोषित किया गया था तो वे यह देखकर दंग रह गए कि इन नमूनों में उनके मानदंडों के अनुसार ईपीओ के प्रयोग के स्पष्ट संकेत थे.
उन्होंने कहा, "मैंने देखा कि उन नमूनों को इसलिए निगेटिव घोषित किया गया क्योंकि वे पॉज़टिव होने के वाडा के मानदंडों को पूरा नहीं करते थे. हालांकि वे संदेहास्पद लग रहे थे और उनमें प्राकृतिक धारियाँ नहीं थीं. उन्हें अभी तक निगेटिव ही घोषित किया गया है."
डॉ डेम्सगार्ड मानते हैं कि वाडा की प्रयोगशालाओं में ऐसे अनेक नमूने होंगे. वे कहते हैं, "खून के बहुत से नमूनों में मैंने पाँच को पॉज़िटिव पाया लेकिन मुझे लगता है कि इनकी संख्या सैकड़ों में होगी. हो सकता है कि वाडा की प्रयोगशालाओं में हज़ारों ऐसे नमूने पड़े होंगे जो ईपीओ पॉज़िटिव होंगे."
ड्रग टेस्ट
क्या बीजिंग में होने वाले टेस्ट काफ़ी हैं?
ऐसा सोचने वाले वे अकेले ही नहीं हैं. प्रमुख एंटी डोपिंग विशेषज्ञ और पूर्व आईओसी ओलंपिक पुरस्कार विजेता प्रोफ़ेसर बेंग्ट सेल्टिन कहते हैं कि वाडा के नए मानदंड ईपीओ प्रयोग करने वाले ज़्यादातर धोखेबाज़ों को बचाए रखते हैं.
घटती संख्या
उन्होंने कहा, "इससे मुझे बहुत दुख हुआ है क्योंकि मैंने बहुत से संदेहास्पद नमूने देखे हैं जो स्पष्ट रूप से सही नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद खिलाड़ी बच जाते हैं. कोई भी देख सकता है कि पिछले दिनों ईपीओ प्रयोग करने वाले कितने लोगों को पकड़ा गया है.
दरअसल, ईपीओ के प्रयोग के कारण सज़ा दिए जाने वाले खिलाड़ियों की संख्या उल्लेखनीय रूप से निरंतर कम हो रही है. 2003 और 2006 के बीच यह संख्या दो तिहाई घट गई है.
वाडा के साइंस निदेशक डॉ ओलिवर रेबिन इस बारे में पूरी तरह निश्चिंत हैं.
वे बीबीसी से कहते हैं, "हाँ मैं पूरे भरोसे से कह सकता हूँ कि हम धोखाधड़ी करने वाले सभी खिलाड़ियों को पकड़ लेंगे."
पहले दिन श्रीलंका ने बनाए 85/2 रन
ईशांत शर्मा ने एक विकेट लिया
कोलंबो में चल रहे टेस्ट मैच के पहले दिन श्रीलंका ने भारत के ख़िलाफ़ दो विकेट के नुकसान पर 85 रन बनाए हैं. भारत-श्रीलंका टेस्ट सिरीज़ का ये पहला क्रिकेट मैच है.
बारिश के कारण मैच देर से शुरु हुआ. श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया.
चौथे ही ओवर में ईशांत शर्मा ने श्रीलंका की पहली विकेट चटका ली. माइकल वेनडर्ट ने मात्र तीन रन बनाए.
इसके बाद वर्णपुरा और संगकारा ने श्रीलंका की स्थिति को संभालाना शुरु किया. लेकिन 13 वें ओवर में ज़हीर खान ने संगकारा(12 रन) को पवेलियन वापस पहुँचा दिया. श्रीलंका का कुल स्कोर उस समय 57 था.
वर्णपुरा ने अच्छा प्रदर्शन किया और छह चौकों की मदद से अपना अर्धशतक पूरा किया. दिन का खेल ख़त्म होने पर वे 50 रन पर खेल रहे थे. उनके साथ क्रीज़ पर थे जयवर्धन जो 16 के स्कोर पर थे.
भारत की ओर से ईशांत शर्मा और ज़हीर खान ने एक-एक विकेट लिया.
बारिश का असर
बारिश के कारण मैच देर से शुरु हुआ
ये सिरीज़ तीन मुख्य कारणों से दिलचस्प मानी जा रही है. पहला तो ये कि इस श्रृंखला में खिलाड़ी अंपायरों के निर्णय को बदलने के लिए अपील कर सकेंगे. इसे फ़िलहाल ट्रायल के तौर पर किया जाएगा.
इसके अलावा सचिन तेंदुलकर इस श्रृंखला में टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड बना सकते हैं.
सर्वाधिक टेस्ट रन बनाने का रिकॉर्ड ब्रायन लारा के नाम है और सचिन इससे 172 रन पीछे हैं.
सिरीज़ के दिलचस्प होने का तीसरा कारण है श्रीलंका के नए तेज़ गेंदबाज़ अजंता मेंडिस जिन्होंने एशिया कप के फ़ाइनल में भारतीय बल्लेबाज़ों की बेहद परेशान किया था.
टेस्ट क्रिकेट में पहली बार खिलाड़ी अंपायरों के फ़ैसलों को चुनौती दे सकेंगे और टीवी रीप्ले के लिए कह सकेंगे.
टेनिस में भी वर्ष 2006 में ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिताओं में ऐसा किया गया था.
हर टीम एक पारी में तीन बार फ़ैसले को चुनौती दे सकेगी.
भारत ने आख़िरी बार वर्ष 2001 में श्रीलंका का दौरा किया था जब भारत श्रृंखला हार गया था. उस दौरे में अनिल कुंबले और सचिन तेंदुलकर घायल होने के कारण नहीं खेल पाए थे.
घरेलू मैदान पर श्रीलंका का रिकॉर्ड काफ़ी अच्छा रहा है. पिछले चार सालों में उसने दक्षिण अफ़्रीका, इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ घेरलू सिरीज़ जीती हैं और अपने मैदानों पर 16 में से केवल एक मैच हारा है.
जहाँ तक भारतीय खेमे की बात है तो भारत के पास राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, गांगुली और द्रवीड़ जैसे बल्लेबाज़ हैं जबकि गेंदबाज़ी में भारत के पास अनिल कुंबले, हरभजन सिंह, ज़हीर खान और ईशांत शर्मा हैं.
भारत श्रीलंका में तीन टेस्ट मैच और पाँच वनडे मैच खेलेगा
राहुल द्रविड़ की चीनता
भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने चेताया है कि श्रीलंका के गेंदबाज़ी आक्रमण में केवल अजंता मेंडिस ही सब कुछ नहीं है, अन्य खिलाड़ियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है.
बुधवार से कोलंबो में शुरू हो रहे पहले टेस्ट से पहले राहुल द्रविड़ ने पत्रकारों से बातचीत में कहा,'' मेंडिस से होने वाले ख़तरे से हम भलीभांति परिचित है लेकिन मुथैया मुरलीधरन और चमिंडा वास जैसे गेंदबाज़ों को कम करके आंकना ठीक नहीं होगा.''
उनका कहना था कि निश्चित तौर पर मेंडिस उनके चार या पांच गेंदबाज़ों में से एक होंगे. लेकिन आप सिर्फ़ उन पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते. उनके पास मुरलीधरन और चमिंडा वास जैसे गेंदबाज़ है जो मिलकर एक हज़ार से अधिक विकेट ले चुके
सेतुसमुद्रम पर सरकार के बयांन से िववाद
सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील एफ़एस नरीमन ने कंबन रामायण और पद्म पुराण का हवाला देते कहा कि भगवान राम ने खु़द रामसेतु को नष्ट कर दिया था.
मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सेतुसमुद्रम परियोजना पर बुधवार को बहस की शुरू हुई.
नरीमन ने सरकार की ओर से तर्क देते हुए कहा कि लोगों का विश्वास है कि राम ने सेतु बनाया था.
लेकिन कंबन रामायण में कहा गया है कि राम ने उसे स्वंय तोड़ भी दिया था ताकि कोई भी लंका से इधर न आ सके.
नरीमन ने माना कि ये लोगों की आस्था का सवाल है, लेकिन उन्होंने कहा कि अब कोई सेतु नहीं तोड़ा जा रहा क्योंकि कोई रामसेतु है ही नहीं.
उनकी दलील थी कि यदि आप आस्था पर भरोसा कर रहे हैं तो आपको अन्य आस्थाओं का भी ध्यान रखना होगा.
इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रवक्ता राम माधव ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि सरकार हिंदुओं की भावनाओं से खेल रही है.
उनका कहना था कि इसके पहले सरकार ने एक हलफ़नामा देकर भगवान राम के अस्तित्व को ही नकार दिया था.
भाजपा के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार लाखों लोगों की भावनाओं से खेल रही है.
डीएमके का दबाव
दरअसल करुणानिधि की पार्टी डीएमके यानी द्रविड़ मुनेत्र कझगम इस परियोजना को आगे बढ़ाना चाहती है.
सेतुसमुद्रम का विरोध (फ़ाइल फ़ोटो)" height="152" width="203"> | |
सेतुसमुद्रम परियोजना का हिंदू संगठन विरोध कर रहे हैं |
इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को दो अहम निर्देश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि भारतीय पुरातात्विक विभाग (एएसआई) को यह जाँच करनी चाहिए कि क्या रामसेतु को 'प्राचीन स्मारक' घोषित किया जा सकता है?
और दूसरा यह कि केंद्र सरकार को इस परियोजना के लिए वैकल्पिक रास्ते या नए 'एलाइनमेंट' की तलाश करनी चाहिए.
दरअसल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट को दिए गए हलफ़नामे में कहा था कि 'राम-सेतु' के ऐतिहासिक और पुरातात्विक अवशेष होने के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं.
इसके बाद कई हिंदू संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया था और इस पर राजनीतिक हंगामा भी हुआ था.
क्या है सेतुसमुद्रम परियोजना?
सेतुसमुद्रम भारत और श्रीलंका के बीच तैयार होने वाली परियोजना है जिसके तहत वहाँ के उथले समुद्र को गहरा करके जहाज़ों के आने-जाने का रास्ता साफ़ करना है.
इसके तहत उस संरचना को भी तोड़ा जाना है जो हवाई चित्रों में पुल की तरह दिखाई देता है. हिंदू संगठनों का कहना है कि यह 'राम-सेतु' है जिसका ज़िक्र रामायण में है.
दरअसल भारत के पूर्वी तट से पश्चिमी तट तक जाने के लिए एक जहाज़ को श्रीलंका के पीछे से चक्कर लगाकर जाना पड़ता है क्योंकि भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र काफ़ी उथला है.
जहाज़ों को इस यात्रा में तक़रीबन 424 समुद्री मील यानी क़रीब 780 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ती है. इसमें 30 घंटे ज़्यादा खर्च हो जाते हैं.
लेकिन सेतुसमुद्रम परियोजना को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल जाने के बाद क़रीब 89 किलोमीटर लंबे दो चैनल बनाए जाएँगे. ये दोनों चैनल एक चौड़ी नहर की तरह होंगे जिससे होकर बड़े-बड़े जहाज़ आ-जा सकेंगे.
एक चैनल उस एलाइनमेंट या रास्ते पर बनाया जाएगा जिसे 'रामसेतु' या एडम्स ब्रिज माना जाता है. जबकि दूसरा चैनल दक्षिण पूर्वी पामबान द्वीप के रास्ते पर पाक जलडमरू मध्य को गहरा करके बनाया जाएगा.
मुख्य समाचार-
- लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से निष्कासित।
- भाजपा ने विश्वास मत के दौरान पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर अपने आठ सांसदों को पार्टी से निकाला, तेलुगुदेशम ने भी अपने एक सांसद को निष्कासित किया।
- डॉ० राम बरन यादव ने संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य नेपाल के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
- वाणिज्य मंत्री ने अमरीका से अपने किसानों की सब्सिडी में कटौती करने को कहा।
- शेयर बाज+ार का संवेदी सूचकांक ८३८ अंक उछलकर १४ हजार ९४२ पर पहुंचा।
- कोलम्बो में भारत के साथ पहले क्रिकेट टैस्ट मैच के आज पहले दिन श्रीलंका ने दो विकेट पर ८५ रन बनाए।